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"साम्य"

                                              
कहते हैं जिसको बुलबुला पानी का ,
साम्य है इसमें दर्शन जीवन का ।
उठकर गिरना ,गिरकर मिट जाना ,
क्षणभंगुर है साँस ,विराम किसने जाना ।

नयनाभिराम है आज वसंत उपवन का ,
दूर नहीं है झलक कंकाल टहनियों का ।
खिलकर मुरझाना ,मुरझा कर सूख जाना ,
यही तो है जीवन -चक्र ,अंत किसने जाना ।

प्रतीक है सफ़र क्षितिज प़र के  सूरज का ,
घंटे भर का बहार ,फुलवारी खुशियों का ।
उगना चढ़ना ,चढ़ कर डूब जाना
क्षीण होती जीवन लालिमा ,अस्त किसने जाना ।

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बेटी

   

शबनम की मोती पर
सुनहरे लाली सी
       चंचल

कुहासे के धुएं में
छटती भोर सी
      शीतल

मोगरे की खुशबू में
भंवरों की डोली सी
      कोमल


पर्वतों के ढलान पर 

 हिम की चादर सी 
      निर्मल 


पूनम की रात में 
दुधिया चाँदनी सी 
     धवल 


समस्त सुन्दर रचना में 
 कलाकार की कल्पना सी 
तुम व्याप्त हो 


इहलोक की बुनियाद में 
एक इष्टिका सी 
मज़बूत आधार हो 




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"आँखों में बसता है"



पलाश की तरुणाई,बौर का फूटना
पपीहे की पीहू,कोयल का कूजना,
आँखों में बसता है ।

दुबिया पर मोती ,हरसिंगार के श्वेत श्रृंगार ,
आँगन में उतरती धूप,कुहासे से झाँकती भोर
आँखों  में बसता है ।
बरसाती नदियों का यौवन ,कानन का मोर
अल्हड़ मेघ का गर्जन ,झकझोरता चितचोर
आँखों में बसता है ।

जीवन के आखिरी पड़ाव पर,विस्मृत होती यादें
जब-जब दस्तक देता मधुमास
पुलक उठता मनमयूर , संजीवनी बनती वादें
थम भी जाए समय का प्रवाह ,तो क्या परवाह
कालचक्र तो
आँखों में बसता है ।

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" बदलाव "

   
दरख्तों  के  साए  में  अब सुकून नहीं होती
परिंदों  की उड़ान में ,अब संगीत नहीं होती
गाँवों की पगडंडियाँ सड़कों में तब्दील हो गयी
चबूतरों की पंचायत गुज़रे ज़माने की बात हो गई।

बदलाव की बयार ऐसी मंज़र लाई
कि आबाद नगरी अब बंज़र हो गयी
अँधेरे खौफ़ का सबब बन गए
खेत-खलिहान श्मशान का पर्याय बन गए।

शहरों की गलियों में अब शोर  नहीं होता
मित्रों की संगत में वो आराम नहीं होता
अब तो हर शख्स ऐसा व्यस्त हो गया
कि बाँया अंग दाँए के लिए अनजान हो गया

साँसों के तारातम्य  में गति अवरुद्ध हो गई
पलकों का झपकना कहाँ अब तो आँखें  खुली रह गईं
जीवन पथ व्यापार औ' जीवन -साथी सौदागर हो गया
रगों में बहता लाल रंग स्याह सफ़ेद हो गया ।

                                                                                                                                KAVITA  VIKAS

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